Manish Tewari on Chandigarh Electricity Crisis

चंडीगढ़ बिजली संकट: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का प्रशासन पर बड़ा हमला, गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचा दी यह बात

Chandigarh Electricity Crisis

चंडीगढ़ बिजली संकट: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का प्रशासन पर बड़ा हमला

चंडीगढ़ बिजली विभाग (Chandigarh Electricity Department) के कर्मचारियों की हड़ताल (Employees Strike) से शहर में बिजली का बड़ा संकट पैदा हो गया| लोगों के जीवन-यापन पर इसका व्यापक असर पड़ा| आवश्यक सेवाओं का बुरा हाल हो गया| बिजली संकट से शहर में किस प्रकार की परेशानी खड़ी हुई, इसका आकलन करना मुश्किल है| फिलहाल, इस हड़ताल को जबरन खत्म कराने के लिए जहां चंडीगढ़ प्रशासन (Chandigarh Administration) ने अब 'एस्मा' लागू कर दिया है तो वहीं पंजाब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने प्रशासन पर बड़ा हमला बोला है और गृह मंत्री अमित शाह तक अपनी बात पहुंचाकर मामले में दखल देने की मांग की है|

तिवारी ने ट्वीट किया....

बतादें कि, तिवारी ने ट्वीट करते हुए अमित शाह से कहा कि चंडीगढ़ में पिछले 36 घंटे से बिजली नहीं है। हालात बिगड़ चुके हैं। सभी इमरजेंसी सेवाएं ठप हो रहीं हैं। तिवारी ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन हालात को संभालने में पूरी तरह से फेल रहा है। चंडीगढ़ एक केंद्रशासित प्रदेश है, इसलिए शाह जी आप इसमें हस्तक्षेप कर तुरंत हालात ठीक करवाएं।

निजीकरण के खिलाफ कर्मियों की हड़ताल...

बतादें कि, चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ कर्मियों ने हड़ताल बुलाई है| बिजली कर्मियों का कहना है कि वह UT प्रशासन के फैसले के ख़िलाफ हैं|

क्या है 'एस्मा'?

इधर, अब अगर आप 'एस्मा' के बारे में नहीं जानते होंगे तो सोच रहे होंगे कि इससे क्या होगा| 'एस्मा' का पूरा नाम है - एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (Essential Services Management Act) यानि आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून| एस्‍मा अधिकतम छह महीने के लिये लगाया जा सकता है|

क्यों लगाते हैं एस्मा?

दरअसल, आपको बतादें कि, 'एस्मा' एक ऐसा कानून है जो कि कर्मियों की हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है| एस्मा लगाने का फैसला इसलिये किया जाता है कि क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों पर और आवश्यक सेवाओं पर पड़ रहे असर को रोका जा सके| मतलब, एस्मा वह कानून है जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है। जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी 6 महीने तक हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों पर बड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है| फिलहाल, कर्मचारियों की हड़तालों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एस्मा एक कारगार हथियार है|